अतिविष कली: रोगों से मुक्ति प्रदान करने वाली अद्भुत औषधि



अतिविष कली: रोगों से मुक्ति प्रदान करने वाली अद्भुत औषधि

अतिविष कली, एक अद्भुत औषधि है जो गरम, तीक्ष्ण, और अग्निदीपक गुणों से भरपूर है। इसे आयुर्वेद में ग्राही-मारक, मिलने-बंधने वाला, और त्रिदोषशामक कहा गया है, जिससे विभिन्न व्याधियों का समाधान हो सकता है। यह विष, ऊलटी, तृषा, कृमि, मसा, सळेखम, और सर्व व्याधिहर में उपयोग किया जाता है।

अतिविष कली के औषधीय गुण:

  1. अग्निदीपक और पाचनीय: यह जठराग्नि को प्रदीप्त करने और भोजन को पचाने में मदद करता है।
  2. ग्राही-मारक: इसे ग्रहणी रोग में सुधार करने के लिए जाना जाता है, जो पाचन सिस्टम को मजबूत कर सकता है।
  3. त्रिदोषशामक: अतिविष कली वात, पित्त, और कफ को शांत करने में मदद कर सकता है, जिससे संतुलित रहता है।

अतिविष कली का उपयोग:

  • अतिसार, ज्वर, उदररोग, और आमातिसार के लिए यह एक उत्तम उपचार हो सकता है।
  • इसका उपयोग कृमि, मसा, सळेखम, और अन्य व्याधियों में भी किया जा सकता है।
  • तृषा और अस्वस्थता में यह राहत प्रदान कर सकता है और शरीर की ऊर्जा को बढ़ा सकता है।

सेवन की विधि:

  • अतिविष कली की चूर्ण रूप में लाभकारी हो सकती है। यह गरम पानी के साथ लिया जा सकता है।
  • रोग के लक्षणों के आधार पर आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें और उचित मात्रा में इसका उपयोग करें।

अतिविष कली को सही रूप से लेने से पहले चिकित्सक से परामर्श करें और सही मात्रा और तरीके से इसका उपयोग करें। इसे विशेषज्ञ की निगरानी में किया जाना चाहिए ताकि यह आपके लिए सुरक्षित और प्रभावी हो।