अग्निमुख चूर्ण: पाचन और स्वास्थ्य के लाभ


 

अग्निमुख चूर्ण: पाचन और स्वास्थ्य के लाभ

अग्निमुख चूर्ण एक ऐसा आयुर्वेदिक उपाय है जो पाचन में सुधार करने और विभिन्न रोगों से छुटकारा पाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे बनाने के लिए हिंग, वज, पीपर, सौंठ, अजमोद, हरड़, चित्रकमूल, और कुक ये सभी सामग्रीयां एकत्र की जाती हैं।

सामग्री:

  • हिंग: 10 ग्राम
  • वज: 20 ग्राम
  • पीपर: 30 ग्राम
  • सौंठ: 40 ग्राम
  • अजमोद: 50 ग्राम
  • हरड़: 60 ग्राम
  • चित्रकमूल: 70 ग्राम
  • कुक: 80 ग्राम

इन सभी सामग्रियों को मिश्रित कर भेगा खांड में बनाएं और इसे अग्निमुख चूर्ण कहा जाता है। इस चूर्ण का सेवन करने के लिए एक अधिकाइया का निर्धारित और सावधानी से सेवन करें। इसे सबसे अच्छे प्रकार से सवार-सांज, सहेज के पानी के साथ लेना चाहिए।

अग्निमुख चूर्ण का सेवन करने से अजीर्ण, शूल, बरोलवृद्धि, मलावस्था, उदर रोग, गैस, खांसी, और दम जैसी समस्याओं में लाभ हो सकता है। इसका सेवन जीवनशैली में सुधार करने में मदद करता है और पाचन को प्रोत्साहित करता है।

रोग के अनुसार इस चूर्ण को मधु, दही, या छाछ के साथ लेना सुझावित है। हमेशा यह ध्यान दें कि आप पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लें और फिर ही इसे लें।